जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी बोलीं- जामिया में जिसने अटैक कराया, उसे सब जानते हैं; इसमें पुलिस की भी मिलीभगत

 जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में फीस वृद्धि के खिलाफ 90 दिन का आंदोलन चलाने वाली छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष गुरुवार को भोपाल के इकबाल मैदान में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के विरोध में चल रहे आंदोलन को समर्थन देने पहुंचीं। इस दौरान दैनिक भास्कर से हुई बातचीत में आइशी ने कहा कि जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में जिसने हमला किया, वह खुद को हिंदुओं के लिए काम करने वाला बताता है। सब जानते हैं कि जामिया में किसने अटैक करवाया। इस साजिश में दिल्ली पुलिस भी कहीं न कहीं मिली हुई है। 


इससे पहले 5 जनवरी को आइशी पर जानलेवा हमला हुआ था। इसके बाद भी यह आंदोलन नहीं थमा। आइशी छात्रों के साथ जेएनयू में फीस वृद्धि के खिलाफ कोर्ट गईं और वहां से उन्हें अंतरिम राहत मिली।



सवाल- जामिया में हुए अटैक को लेकर क्या कहेंगी?
आइशी- आज जिस तरह से जामिया में अटैक हुआ है, सबको पता है कि जिसने अटैक करवाया है। फायरिंग करने वाला लड़का वहां पहुंचकर कहता है कि हम भगवाधारी हैं और हिंदुओं के लिए काम करते हैं, तो ये किसने किया है और किसने करवाया है। लेकिन, दिल्ली पुलिस भी कहीं न कहीं मिली हुई है। गृहमंत्री अमित शाह चाहते ही नहीं हैं कि कार्रवाई ठीक तरीके से हो। इसलिए बहुत जरूरी हो गया कि हम सड़क पर उतरकर अपनी लड़ाई खुद लड़ें क्योंकि, दिल्ली पुलिस से ज्यादा उम्मीद नहीं है। हमें उम्मीद थी कि दिल्ली पुलिस फ्री एंड फेयर काम करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।


आप ही देखिए, जिस तरह से मेरे ऊपर अटैक होता है और बाद में मुझे ही संदिग्ध (सस्पेक्ट) बना दिया जाता है। लेकिन, मेरे खिलाफ दिल्ली पुलिस के पास एक भी प्रूफ नहीं है, क्योंकि मैंने कुछ गलत किया ही नहीं। मैंने मीडिया के सामने खुलकर कहा कि मेरे खिलाफ कोई भी वीडियो हो तो दिखाइए, लेकिन वह नहीं दिखा पाए। 


हमें खतरा है मगर मंत्री हमारी बात नहीं सुन रहे- आइशी
आइशी ने कहा- जेएनयू को लेकर मीडिया ट्रायल चल रहा है, इससे हमारा बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। हम 23-24-25 साल के स्टूडेंट्स हैं। अपनी आवाज उठा रहे हैं और बता रहे हैं कि हमें खतरा है, लेकिन हमारे मंत्री हमारी बात नहीं सुन रहे हैं। हम अपनी आवाज उठाते हैं तो देशद्रोही बता दिया जाता है। हम नौकरी मांग रहे हैं तो देशद्रोही बना दिया जाता है। आज देशद्रोह के नाम पर जो खिलवाड़ किया जा रहा है, उसे समझने की जरूरत है। 


सवाल- फीस वृद्धि की लड़ाई के बाद जेएनयू प्रशासन का रवैया आपके प्रति बदला है?
आइशी- देखिए, 2016 के बाद 2019 में काफी बदलाव आया है। जब हमने 90 दिनों का फीस वृद्धि आंदोलन शुरू किया था तो हमें केवल जेएनयू, दिल्ली यूनिवर्सिटी, एएमयू, जामिया से ही सपोर्ट नहीं मिला बल्कि हमें दूसरी अन्य यूनिवर्सिटीज से भी सपोर्ट मिला था। देश के आईआईटी संस्थानों से पूरा समर्थन मिला। जब लड़ाई शुरू हो गई तो सरकार और हमारे प्रशासन को लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता है। तब उन्होंने 5 जनवरी को जेएनयू पर अटैक करवाया। उन्हें लगा कि जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष को रॉड से पिटवा देंगे तो जेएनयू के स्टूडेंट्स पीछे हट जाएंगे और फीसवृद्धि का आंदोलन खत्म हो जाएगा। लेकिन, 5 तारीख के बाद भी आंदोलन अच्छे से चला। हम कोर्ट गए और हमें अंतरिम राहत मिली। ऐसा उन्होंने सपने में नहीं सोचा होगा